मोहर्रम कब है? मोहर्रम का महत्व और तथ्य

मोहर्रम कब है? इस्लामी कैलेंडर का पहला महीना है और इस्लामी समुदाय में इसका विशेष महत्व है। इस महीने को बहुत ही पवित्र माना जाता है और इसमें कई महत्वपूर्ण घटनाएँ होती हैं। इस लेख में, हम मोहर्रम के महत्व, इसकी तिथियों, और इसके साथ जुड़े रीति-रिवाजों के बारे में विस्तार से चर्चा करेंगे।

मोहर्रम कब है मोहर्रम का महत्व

मोहर्रम इस्लामी कैलेंडर के पहले महीने के रूप में माना जाता है और इसे ‘अशुरा’ के दिन के कारण विशेष रूप से महत्वपूर्ण माना जाता है। अशुरा इस महीने के 10वें दिन को कहते हैं, और इस दिन की अपनी ऐतिहासिक और धार्मिक महत्वपूर्ण घटनाएँ हैं। यह दिन हज़रत इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की याद में मनाया जाता है, जिन्होंने करबला की लड़ाई में अपनी जान गंवाई थी।

मोहर्रम कब है मोहर्रम की तिथियाँ

इस्लामी कैलेंडर चंद्रमा के चक्र पर आधारित होता है, इसीलिए हर साल मोहर्रम की तिथियाँ बदलती रहती हैं। 2024 में, मोहर्रम का महीना 8 जुलाई से 6 अगस्त के बीच है। अशुरा, मोहर्रम के 10वें दिन, इस वर्ष 17 जुलाई को पड़ेगा।

मोहर्रम कब है मोहर्रम के धार्मिक महत्व

मोहर्रम का महीना इस्लामी समुदाय के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण होता है। इसमें कई धार्मिक गतिविधियाँ और अनुष्ठान होते हैं:

  1. रोज़े (व्रत): मोहर्रम के महीने में रोज़ा रखना बहुत ही पुण्य माना जाता है। विशेष रूप से, 9वीं और 10वीं तारीख को रोज़ा रखना अत्यधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।
  2. मजलिस और मातम: मोहर्रम के दिनों में विभिन्न मजलिस (धार्मिक सभाएँ) आयोजित की जाती हैं, जहाँ इमाम हुसैन की शहादत और उनके बलिदान की कहानियाँ सुनाई जाती हैं। इस दौरान मातम (शोक) भी मनाया जाता है।
  3. ताजिया: ताजिया एक प्रकार की प्रतिमा होती है जो इमाम हुसैन के मकबरे का प्रतीक होती है। इसे विभिन्न नगरों और गाँवों में निकाला जाता है।

मोहर्रम कब है करबला की लड़ाई

करबला की लड़ाई इस्लामी इतिहास की सबसे महत्वपूर्ण और दिल को छू लेने वाली घटनाओं में से एक है। यह लड़ाई 680 ईस्वी में इराक के करबला में हुई थी। हज़रत इमाम हुसैन, जो पैगंबर मुहम्मद के पोते थे, ने यज़ीद की अत्याचारी हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाई थी। इस लड़ाई में हुसैन और उनके साथियों ने अद्वितीय बलिदान दिया और सत्य और न्याय के लिए लड़ाई की मिसाल कायम की।

मोहर्रम कब है मोहर्रम के दौरान निभाए जाने वाले अनुष्ठान

मोहर्रम के महीने में विभिन्न अनुष्ठान निभाए जाते हैं जो इस्लामी समुदाय के लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं:

  1. जलूस: मोहर्रम के दिनों में विभिन्न स्थानों पर जलूस निकाले जाते हैं। यह जलूस इमाम हुसैन की शहादत की याद में आयोजित किए जाते हैं और इसमें भाग लेने वाले लोग इमाम के प्रति अपने श्रद्धा और सम्मान को व्यक्त करते हैं।
  2. अल्लम और ज़ुलजनाह: अल्लम एक प्रकार का झंडा होता है जो इमाम हुसैन के झंडे का प्रतीक होता है। ज़ुलजनाह इमाम हुसैन के घोड़े का प्रतीक होता है, जिसे विशेष रूप से सजाया जाता है और जलूस में निकाला जाता है।
  3. नौहा और मातम: नौहा धार्मिक गीत होते हैं जो इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की व्यथा को व्यक्त करते हैं। मातम में लोग अपनी छाती पर हाथ मारते हैं और इमाम के प्रति अपने दुख और शोक को प्रकट करते हैं।

मोहर्रम कब है मोहर्रम का सामाजिक महत्व

मोहर्रम न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इसका सामाजिक महत्व भी है। इस महीने के दौरान विभिन्न समुदायों के लोग एकजुट होते हैं और इमाम हुसैन के बलिदान की कहानी को याद करते हैं। यह एकता और भाईचारे का प्रतीक है और लोगों को सिखाता है कि सत्य और न्याय के लिए हमेशा खड़ा रहना चाहिए।

मोहर्रम कब है मोहर्रम और महिलाओं की भूमिका

मोहर्रम के अनुष्ठानों में महिलाओं की भूमिका भी अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। महिलाएँ मजलिस में भाग लेती हैं, नौहा गाती हैं और मातम में शामिल होती हैं। हज़रत ज़ैनब, इमाम हुसैन की बहन, का किरदार भी बहुत महत्वपूर्ण है, जिन्होंने करबला की घटना के बाद सत्य की गवाही दी और इस्लामी समाज में महिलाओं की भूमिका को प्रबल बनाया।

निष्कर्ष

मोहर्रम कब है? मोहर्रम इस्लामी कैलेंडर का एक पवित्र महीना है और इसकी तिथियाँ हर साल बदलती रहती हैं। इस महीने का विशेष महत्व है क्योंकि इसमें इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत की याद की जाती है। मोहर्रम के दौरान विभिन्न धार्मिक और सामाजिक अनुष्ठान निभाए जाते हैं, जो इस महीने को और भी महत्वपूर्ण बनाते हैं। इस महीने के दौरान मनाए जाने वाले अनुष्ठान और गतिविधियाँ हमें सत्य, न्याय, और बलिदान की महत्वता को सिखाती हैं।

One thought on “मोहर्रम कब है? मोहर्रम का महत्व और तथ्य

  1. आपने बहोत अच्छे से यह लेख लिखा है और इसमे बहोत ही सरलता के साथ समझाया है कि मोहर्रम कब है और उसका महत्व क्या है। आपके इस सरहानीय कार्य के लिए कोटि कोटि धन्यवाद।

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